Ola CEO Bhavish Aggarwal विवाद:
भारत के सबसे बड़े स्टार्टअप्स में से एक Ola Electric इन दिनों गंभीर विवादों में घिरी हुई है। कंपनी के CEO Bhavish Aggarwal और एक वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है।
यह मामला न सिर्फ Ola की कार्यसंस्कृति पर सवाल उठाता है, बल्कि पूरे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक चेतावनी भी है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
बेंगलुरु में Ola Electric में काम करने वाले 38 वर्षीय इंजीनियर के. अरविंद ने 28 सितंबर 2025 को आत्महत्या कर ली।
उनके घर से एक 28 पन्नों की सुसाइड नोट बरामद हुई, जिसमें उन्होंने कंपनी के भीतर मानसिक प्रताड़ना, लगातार टारगेट किए जाने और वेतन न मिलने जैसे गंभीर आरोप लगाए।
नोट में उन्होंने लिखा कि उनके काम को जानबूझकर गलत बताया गया, उन्हें अपमानित किया गया और उनकी बात सुनी नहीं गई।
परिवार का आरोप है कि कंपनी ने उनकी मृत्यु के दो दिन बाद ₹17.46 लाख रुपये उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए, जिससे “कवऱअप” की आशंका और बढ़ गई।
FIR में Ola CEO Bhavish Aggarwal का नाम
इस घटना के बाद बेंगलुरु पुलिस ने Ola CEO भाविश अग्रवाल, Bhavish Aggarwalऔर Ola Electric के वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास के खिलाफ FIR दर्ज की है।
धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत केस दर्ज किया गया है।
हालांकि, FIR दर्ज होने के बाद कंपनी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा —
“यह एक बेहद दुखद घटना है। मृतक ने कभी कंपनी में किसी प्रकार की भाविश अग्रवाल की औपचारिक शिकायत नहीं की थी। Ola परिवार इस मुश्किल समय में परिवार के साथ है और जांच में पूर्ण सहयोग कर रहा है।”
Ola की प्रतिक्रिया और कानूनी कदम
Bhavish Aggarwal ,Ola Electric ने FIR को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
कंपनी का कहना है कि जिन लोगों के नाम FIR में हैं, उनका मृतक के काम से सीधा संबंध नहीं था।
Ola की ओर से जारी बयान में कहा गया —
“कंपनी की वर्क कल्चर पारदर्शी है। हम कर्मचारियों की भलाई और सुरक्षित माहौल के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए।”
Bhavish Aggarwal की कंपनी की छवि पर असर
Ola पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही थी —
इलेक्ट्रिक स्कूटर की शिकायतें, उत्पादन देरी, और कर्मचारियों की असंतुष्टि की खबरें।
अब इस घटना ने उसकी छवि को और नुकसान पहुँचाया है।
निवेशकों और उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न केवल Ola Electric बल्कि पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम की साख पर असर डाल सकता है।
स्टार्टअप कल्चर पर उठे सवाल
इस घटना ने भारत की स्टार्टअप संस्कृति पर गहरी बहस छेड़ दी है।
कई कर्मचारी और पूर्व स्टार्टअप वर्कर्स सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
उनका कहना है कि “सफलता की दौड़ में” कई कंपनियाँ वर्क-लाइफ बैलेंस और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब ऐसी नीतियों की ज़रूरत है जो कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दें।
कानूनी प्रक्रिया और आगे की दिशा
वर्तमान में यह मामला बेंगलुरु पुलिस की जांच में है।
पुलिस ने मृतक के मोबाइल डेटा, ईमेल और बैंक लेनदेन के सबूत एकत्र करने शुरू कर दिए हैं।
यदि जांच में कंपनी या वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारी साबित होती है, तो कानूनी कार्रवाई संभव है।
Ola Electric ने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि यह FIR “अधूरी और तथ्यों से रहित” है।
अब अगली सुनवाई कर्नाटक हाईकोर्ट में तय करेगी कि CEO भाविश अग्रवाल मामला आगे बढ़ेगा या नहीं।
विवाद का व्यापक असर
1. कर्मचारी सुरक्षा पर नई चर्चा
– भारत में काम करने वाली बड़ी टेक कंपनियाँ अब HR नीतियों को मजबूत करने की कोशिश करेंगी।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
– यह मामला कर्मचारियों में मानसिक तनाव के मुद्दे को केंद्र में ले आया है।
3. कॉर्पोरेट जवाबदेही की माँग
– जनता और निवेशक दोनों चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं पर Bhavish Aggarwal की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाई जाए।
4. स्टार्टअप्स के लिए चेतावनी
– “विकास की रफ्तार” जितनी तेज़ हो, कर्मचारियों का सम्मान और कल्याण उतना ही ज़रूरी है।
