प्रयागराज(Prayagraj), जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, भारत का वह शहर है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। यह संगम नगरी न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी देश की पहचान है। आज का प्रयाग राज आधुनिकता और परंपरा का शानदार मिश्रण बन चुका है।

प्रयागराज – आस्था और आध्यात्मिकता की धरती
प्रयाग राज को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर 12 साल में यहाँ कुंभ मेला आयोजित होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष की कामना करते हैं।
महाशिवरात्रि, माघ मेला और छठ पूजा जैसे पर्व यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं।
स्थानीय श्रद्धालु रमेश तिवारी कहते हैं – “प्रयाग राज केवल एक शहर नहीं, बल्कि एक भावना है। यहाँ हर घाट पर भक्ति और शांति का अनुभव होता है।”
इतिहास में प्रयागराज का महत्व
प्रयाग राज का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह वही भूमि है जहां सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में स्तंभ स्थापित किए थे। बाद में मुगल शासक अकबर ने इसका नाम “इलाहाबाद” रखा।
1857 की क्रांति में भी यह शहर ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह का केंद्र रहा। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म भी इसी धरती पर हुआ था।
आज प्रयाग राज में नेहरू परिवार से जुड़ी कई ऐतिहासिक जगहें हैं, जैसे आनंद भवन और स्वराज भवन, जो आज भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गवाही देते हैं।
आधुनिक विकास और प्रयागराज स्मार्ट सिटी मिशन
बीते कुछ वर्षों में प्रयाग राज ने विकास की दिशा में बड़ी छलांग लगाई है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत यहाँ चौड़ी सड़कें, आधुनिक बस टर्मिनल, एलईडी लाइटें और कैमरा नेटवर्क जैसी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं।
प्रयागराज एयरपोर्ट और नई रेल कनेक्टिविटी ने इस शहर को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ दिया है।
नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार – “हमारा लक्ष्य प्रयाग राज को एक विश्वस्तरीय पर्यटन और स्मार्ट सिटी हब बनाना है।”
पर्यटन स्थल जो बनाते हैं प्रयागराज को खास
- त्रिवेणी संगम: गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल, जहां स्नान को अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- आनंद भवन: नेहरू परिवार का ऐतिहासिक घर, अब संग्रहालय के रूप में विकसित।
- अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आजाद पार्क): स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की शहादत का स्थल।
- खुसरो बाग: मुगल स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण।
- हनुमान मंदिर: संगम के पास स्थित यह मंदिर प्रयाग राज की पहचान है।
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यातायात और कनेक्टिविटी
प्रयाग राज(Prayagraj) उत्तर भारत के प्रमुख ट्रांसपोर्ट हब में से एक है। यहाँ से दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी और पटना तक रेल और सड़क दोनों मार्गों से सीधी कनेक्टिविटी है।
प्रयाग राज एयरपोर्ट (Bamrauli Airport) से मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
शहर में सिटी बस सेवा, ई-रिक्शा और नई रिवर टूरिज्म बोट सर्विस भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
शिक्षा और संस्कृति का केंद्र
प्रयाग राज को “शिक्षा नगरी” भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ इलाहाबाद विश्वविद्यालय, मोनोटेक्निक कॉलेज, और कई प्रतिष्ठित संस्थान हैं।
यह शहर न केवल IAS-PCS अभ्यर्थियों का पसंदीदा केंद्र है, बल्कि यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर भी उल्लेखनीय है। साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में प्रयागराज ने अनेक नामचीन हस्तियों को जन्म दिया है।
भविष्य की दिशा – हरित और स्वच्छ प्रयागराज
सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर शहर को हरित एवं स्वच्छ प्रयाग राज बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
“क्लीन प्रयागराज मिशन” के तहत कई पार्कों और घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है। साथ ही सोलर लाइटिंग सिस्टम और ईको-फ्रेंडली घाट निर्माण जैसी परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
निष्कर्ष: परंपरा और प्रगति का संगम
प्रयागराज आज सिर्फ आस्था की भूमि नहीं, बल्कि भारत के विकास और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन चुका है।
जहाँ एक ओर संगम की पवित्रता आत्मा को छूती है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर शहर को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है।
यदि आपने अभी तक प्रयाग राज की यात्रा नहीं की है, तो यह शहर आपको हर बार अपने दिल से बुलाता है — “आइए संगम में डुबकी लगाइए, इतिहास और भविष्य दोनों का संगम देखिए।”