बेहतर उत्पादन लेने के लिए मूंग की उन्नतशील किस्म एमएच-421 व 1142 की 15 अप्रैल से पहले करें बिजाई
एमएच-421 और 1142 मूंग की उन्नतशील किस्म हैं। अच्छी पैदावार के लिए किसान 15 अप्रैल से पहले बिजाई करें। मूंग की फसल 60 से 65 दिन में फलियों के एक साथ पकाने से तैयार हो जाती है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है। हालांकि सत्या, बसंती व मुस्कान आदि मूंग की पुरानी किस्में हैं। शस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी सांगवान के अनुसार बिजाई से पहले मिट्टी की जांच कराया जरूरी है, क्योंकि नमकीन पानी व क्षारीय मिट्टी मूंग के लिए नुकसानदायक है। ग्रीष्म ऋतु में मूंग की बिजाई से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। खेत को हरी खाद भी मिलती है। 10 किलो बीज में 50 ग्राम गुड़ मिलाकर करें उपचारित {बीज का उपचार: 10 किलो बीज के लिए 200 एमएल पानी में 50 ग्राम गुड़ घोल लें। बीज को हाथों से मिलकर चिपचिपा कर लें। 50 एमएल राइजो टीका छिड़क कर बीज में मिला देना है। ध्यान रखना है कि उपचारित बीज को छाया में ही सुखाया जाना चाहिए। {खाद का प्रयोग ऐसे करें : एक एकड़ खेत के लिए यूरिया 13 किलोग्राम से साढ़े 17 किलोग्राम, 10 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट बिजाई के समय खेत में डालें। हल्की जमीन होने की स्थिति में 14 किलो पोटाश का भी इस्तेमाल जरूरी है। वैसे मूंग की फसल लेने से पहले खेत की मिट्टी की जांच और विशेषज्ञ से परामर्श लेकर ही खाद का प्रयोग करें। {सिंचाई: बिजाई के करीब 22 दिन पर पहली सिंचाई करें। मीठे पानी की उपलब्धता के अनुसार अगले 15 दिन के अंतराल पर दो बार सिंचाई करनी जरूरी है। पानी की उपलब्धता कम है तो पहली सिंचाई के बाद पौधे में फूल फलियां लगने के समय और एक सिंचाई करनी चाहिए।
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