जहानाबाद में अब तक 9 यादव तो 5 भूमिहार सांसद:सिर्फ 2019 में अति पिछड़ा को मिली थी जीत, कांग्रेस...वामदलों से जदयू-राजद में शिफ्ट हुई सीट

जहानाबाद लोक सभा सीट पर शुरुआत से ही भूमिहार और यादव जाति का वर्चस्व रहा है। सबसे ज्यादा सांसद इसी दोनों जाति से बने हैं। नौ बार यादव प्रत्याशी की जीत हुई है। वहीं, पांच बार भूमिहार उम्मीदवार के खाते में सीट गई है। जहानाबाद कभी नक्सलग्रस्त इलाका रहा है। लगातार कई सालों तक हुए नरसंहारों की वजह से भी जहानाबाद सुर्खियों में रहा है। यहां अंतिम चरण में मतदान 1 जून को है। जहानाबाद लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र है। इसमें जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, अरवल, कुर्था और अतरी आता है। इसमें कुर्था अरवल जिले का हिस्सा है। वहीं, अतरी गया जिले में आता है। लेकिन, लोकसभा जहानाबाद है। इसमें कुल मतदाओं की संख्या 16,60,460 है। इसमें पुरुष मतदाता 8,66,977 एवं महिला मतदाता 7,93,452 है। कांग्रेस और वाम दल के बाद राजद और जदयू का कब्जा जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का चुनाव 1962 से शुरू हुआ था। तब से 2014 तक भूमिहार और यादव जाति का कब्जा रहा। लेकिन, 2019 में यह परंपरा टूट गई है। अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले चंदेश्वर चंद्रवंशी को जीत मिली। जदयू ने परंपरा को तोड़ते हुए चंद्रवंशी को टिकट दिया था। उन्हें जनता ने जीता कर संसद भी भेजा। शुरुआत में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का जहानाबाद सीट पर कब्जा रहा। लेकिन, 1998 में राजद ने यह सीट वाम दल से छीन ली। इसके बाद कांग्रेस और वाम दलों को कभी यहां से जीत नहीं मिल सकी। राजद और जदयू के खाते में यह सीट जाती रही। सिर्फ 2014 में रालोसपा से अरुण कुमार की जीत हुई थी। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख भूमिहार मतदाता हैं। वहीं, तीन लाख पचास हजार के करीब यादव हैं। जबकि 1,10,000 मुस्लिम मतदाता भी इस क्षेत्र में हैं। महिला बिल को यहां के सांसद ने फाड़ा था सुरेंद्र यादव लालू-तेजस्वी के करीबी रहे हैं। राजद की टिकट पर 1998 में सांसद बने थे। इसके बाद लोकसभा में उनकी एक एक्टिविटी से पूरे देश में काफी निंदा हुई थी। दरअसल, महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था। इस दौरान चर्चा चल रही थी। इस दौरान तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी से बिल की कापी लेकर सुरेंद्र यादव ने फाड़ दिया था। इसके बाद इस घटना की काफी आलोचना की गई थी। आडवाणी ने यहां तक कह दिया था कि अब दोबारा आप सांसद नहीं बनिएगा। संयोग ऐसा रहा कि सुरेंद्र यादव दोबारा सांसद नहीं बन सकें। चुनाव में प्रत्याशी तो बने। लेकिन, जीत नहीं हो सकी। सांसद रहते हुए की थी बगावत 2009 में जगदीश शर्मा जदयू के टिकट से सांसद बने थे। इसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार से ही बगावत कर ली थी। सांसद बनने के बाद घोसी विधानसभा सीट खाली हुई। जदयू पार्टी की ओर से उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद वे बगावत पर उतर आए। नीतीश का विरोध करते हुए अपनी पत्नी को निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिया। नीतीश की सरकार में रहते हुए भी उन्होंनेअपनी पत्नी शांति शर्मा को जीत दिला थी थी। चारा घोटाले में सजा होने की वजह से साढ़े चार वर्षो के बाद ही लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। कब कौन रहे सांसद 1962 में सत्यभामा देवी कांग्रेस 1967 में चंद्रशेखर भाकपा 1971 में चंद्रशेखर भाकपा 1977 में हरी लाल यादव बीएलडी 1980 में महेंद्र प्रसाद कांग्रेस 1984 में रामाश्रय यादव माकपा 1989 में रामाश्रय यादव माकपा 1991 में रामाश्रय यादव माकपा 1996 में रामाश्रय यादव माकपा 1998 में सुरेंद्र प्रसाद यादव राजद 1999 में अरुण कुमार जदयू 2004 में गणेश प्रसाद यादव राजद 2009 में जगदीश शर्मा जदयू 2014 में अरुण कुमार रालोसपा 2019 में चंदेश्वर चंद्रवंशी जदयू ऐतिहासिक स्थल है जहानाबाद जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र काफी ऐतिहासिक भी है। यहां वाणावर में मौर्यकालीन गुफाएं एवं बाबा सिद्धनाथ का मंदिर है, जहां दूर-दराज से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। वहीं, जिले के काको स्थित बीवी कलम दरगाह है, जहां बीवी कलम सूफी संत काफी मशहूर हुए थे।

Mar 21, 2024 - 06:30
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जहानाबाद में अब तक 9 यादव तो 5 भूमिहार सांसद:सिर्फ 2019 में अति पिछड़ा को मिली थी जीत, कांग्रेस...वामदलों से जदयू-राजद में शिफ्ट हुई सीट
जहानाबाद लोक सभा सीट पर शुरुआत से ही भूमिहार और यादव जाति का वर्चस्व रहा है। सबसे ज्यादा सांसद इसी दोनों जाति से बने हैं। नौ बार यादव प्रत्याशी की जीत हुई है। वहीं, पांच बार भूमिहार उम्मीदवार के खाते में सीट गई है। जहानाबाद कभी नक्सलग्रस्त इलाका रहा है। लगातार कई सालों तक हुए नरसंहारों की वजह से भी जहानाबाद सुर्खियों में रहा है। यहां अंतिम चरण में मतदान 1 जून को है। जहानाबाद लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र है। इसमें जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर, अरवल, कुर्था और अतरी आता है। इसमें कुर्था अरवल जिले का हिस्सा है। वहीं, अतरी गया जिले में आता है। लेकिन, लोकसभा जहानाबाद है। इसमें कुल मतदाओं की संख्या 16,60,460 है। इसमें पुरुष मतदाता 8,66,977 एवं महिला मतदाता 7,93,452 है। कांग्रेस और वाम दल के बाद राजद और जदयू का कब्जा जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का चुनाव 1962 से शुरू हुआ था। तब से 2014 तक भूमिहार और यादव जाति का कब्जा रहा। लेकिन, 2019 में यह परंपरा टूट गई है। अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले चंदेश्वर चंद्रवंशी को जीत मिली। जदयू ने परंपरा को तोड़ते हुए चंद्रवंशी को टिकट दिया था। उन्हें जनता ने जीता कर संसद भी भेजा। शुरुआत में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी का जहानाबाद सीट पर कब्जा रहा। लेकिन, 1998 में राजद ने यह सीट वाम दल से छीन ली। इसके बाद कांग्रेस और वाम दलों को कभी यहां से जीत नहीं मिल सकी। राजद और जदयू के खाते में यह सीट जाती रही। सिर्फ 2014 में रालोसपा से अरुण कुमार की जीत हुई थी। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब तीन लाख भूमिहार मतदाता हैं। वहीं, तीन लाख पचास हजार के करीब यादव हैं। जबकि 1,10,000 मुस्लिम मतदाता भी इस क्षेत्र में हैं। महिला बिल को यहां के सांसद ने फाड़ा था सुरेंद्र यादव लालू-तेजस्वी के करीबी रहे हैं। राजद की टिकट पर 1998 में सांसद बने थे। इसके बाद लोकसभा में उनकी एक एक्टिविटी से पूरे देश में काफी निंदा हुई थी। दरअसल, महिला आरक्षण विधेयक पेश किया था। इस दौरान चर्चा चल रही थी। इस दौरान तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी से बिल की कापी लेकर सुरेंद्र यादव ने फाड़ दिया था। इसके बाद इस घटना की काफी आलोचना की गई थी। आडवाणी ने यहां तक कह दिया था कि अब दोबारा आप सांसद नहीं बनिएगा। संयोग ऐसा रहा कि सुरेंद्र यादव दोबारा सांसद नहीं बन सकें। चुनाव में प्रत्याशी तो बने। लेकिन, जीत नहीं हो सकी। सांसद रहते हुए की थी बगावत 2009 में जगदीश शर्मा जदयू के टिकट से सांसद बने थे। इसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार से ही बगावत कर ली थी। सांसद बनने के बाद घोसी विधानसभा सीट खाली हुई। जदयू पार्टी की ओर से उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद वे बगावत पर उतर आए। नीतीश का विरोध करते हुए अपनी पत्नी को निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिया। नीतीश की सरकार में रहते हुए भी उन्होंनेअपनी पत्नी शांति शर्मा को जीत दिला थी थी। चारा घोटाले में सजा होने की वजह से साढ़े चार वर्षो के बाद ही लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। कब कौन रहे सांसद 1962 में सत्यभामा देवी कांग्रेस 1967 में चंद्रशेखर भाकपा 1971 में चंद्रशेखर भाकपा 1977 में हरी लाल यादव बीएलडी 1980 में महेंद्र प्रसाद कांग्रेस 1984 में रामाश्रय यादव माकपा 1989 में रामाश्रय यादव माकपा 1991 में रामाश्रय यादव माकपा 1996 में रामाश्रय यादव माकपा 1998 में सुरेंद्र प्रसाद यादव राजद 1999 में अरुण कुमार जदयू 2004 में गणेश प्रसाद यादव राजद 2009 में जगदीश शर्मा जदयू 2014 में अरुण कुमार रालोसपा 2019 में चंदेश्वर चंद्रवंशी जदयू ऐतिहासिक स्थल है जहानाबाद जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र काफी ऐतिहासिक भी है। यहां वाणावर में मौर्यकालीन गुफाएं एवं बाबा सिद्धनाथ का मंदिर है, जहां दूर-दराज से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। वहीं, जिले के काको स्थित बीवी कलम दरगाह है, जहां बीवी कलम सूफी संत काफी मशहूर हुए थे।

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